Monday, October 13, 2025

आज़ाद

नहीं नापता मैं खुद को
तेरे पैमाने से ..
मेरी तासीर मेल न खायेगी 
इस ज़माने से ।।
अपनी जेब में रख 
तेरे कायदे कानून ..
मैं नहीं टूटने वाला
तेरे दबाने से ।।

Thursday, October 09, 2025

रोशनी

अंधेरे मिटाने थे उनको 
अंधेरों से ही लड़ रहे थे ,
दूर सन्नाटे में उजाले दीए के 
बिना लड़े ही जल रहे थे ।।

नाम

नाम मिला तो, नाम बन गए
ज्ञान मिला तो, ज्ञान बन गए
बाजार सी थी जिंदगी ,
कुछ सामान मिला 
तो हम, सामान बन गए ।।
रहने लगे कहीं ,
तो मकान बन गए 
रिश्ते मिले तो हम
पहचान बन गए ।।
गुजर गई इस तरह ही जिंदगी
और हम, सुबह से शाम बन गए..
कोन थे वो, जो राम बन गए ?
की बाकी तो सब झूठी पहचान लिए
शमशान बन गए ।।

मर्ज

चलो, हमदर्द नहीं तो
मेरा दर्द ही बन जाना तुम ,
महसूस करूं धड़कनों में हर वक्त
इस तरह,
मेरा मर्ज ही बन जाना तुम ।।

अलविदा

सुना था,
मंजिलें नहीं होती
खुशियों की , बस रास्ते होते है ।
बदल न जाएं मौसम फिर से
हमने एक मोड पे
उन्हें , अलविदा कह दिया ।।

ज़ख्म

कौन भूलता है , भुलाने के लिए ।
गुजर जाए कुछ वक्त तो सुकून आए
ज़रूरी है भूल जाना भी
ज़ख्मों में धूल चढ़ाने के लिए ।।

काटा

कौन कहता है कि लफ्जों से
दर्द कम होते हैं
चुभ जाए जो काटा सीने में
तो हमदर्द सिर्फ, गम होते हैं ।।

आज़ाद

नहीं नापता मैं खुद को तेरे पैमाने से .. मेरी तासीर मेल न खायेगी  इस ज़माने से ।। अपनी जेब में रख  तेरे कायदे कानून .. मैं नहीं टूटने वाला ते...